मुझे माँ से गिला,
मिला ये ही सिला,
बेटियां क्यों पराई हैं,
मुझे मां से गिला।।
खेली कूदी मैं जिस आँगन में,
वो भी अपना पराया सा लागे,
ऐसा दस्तूर क्यों है माँ,
जोर किसका चला इसके आगे,
एक को घर दिया,
एक को वर दिया,
तेरी कैसी खुदाई है,
मुझे मां से गिला।।
जो भी माँगा मैंने बाबुल से,
दिया हस के मुझे बाबुल ने,
प्यार इतना दिया है मुझको,
क्या बयां मैं करूँ अपने मुख से,
जिस घर में पली,
उस घर से ही माँ,
यह कैसी बिदाई है,
मुझे मां से गिला।।
अच्छा घर सुन्दर वर देखा माँ ने,
क्षण में कर दिया उनके हवाले,
जिंदगी भर का ये है बंधन,
कहके समझाते हैं घरवाले,
देते दिल से दुआ,
खुश रहना सदा,
कैसी प्रीत निभाई है,
मुझे मां से गिला।।
मुझे माँ से गिला,
मिला ये ही सिला,
बेटियां क्यों पराई हैं,
मुझे मां से गिला।।
Singer – Ajit Manocha
प्रेषक – सुरेंद्र पवार
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