द्वापुर में कृष्ण चंद जी,
किया प्रभु ने याद,
आओ विश्वकर्मा स्वामी,
भवन बना दो आलिशान।।
जराचन्द तो अन्याय करे,
वो जग माही,
यादव सेना पर भटके,
वो अन्यायी,
समझाओ समझे नही मूर्ख,
अवगुणा री खान,
आवो विश्वकर्मा स्वामी,
भवन बना दो आलिशान।।
हंस सवारी आय प्रभु,
मथुरा माही,
पंच मुख विशाल,
पीताम्बरी सवि न्यारी,
कृष्ण चंद विश्वकर्मा निरखे,
दर्श करे बलराम,
आवो विश्वकर्मा स्वामी,
भवन बना दो आलिशान।।
हा द्वारा पूरी है नाम,
रेवे सारा नर नारी,
सोने जड़ित किवाड़,
गजब हैं कारीगिरी,
आस पास में चौकी बणगी,
आ वे पोहरोदार,
आवो विश्वकर्मा स्वामी,
भवन बना दो आलिशान।।
अरे बारेह चौकी,
अस्त्र शस्त्र से जुटवा दी,
भर दिना भंड़ार,
कमी राखी नाही,
भीतर जाकर यादव देखे,
विशाल सस्त्रागार,
आवो विश्वकर्मा स्वामी,
भवन बना दो आलिशान।।
अरे आठ मार्ग,
निर्माण गुप्त करवाया,
पावे कोई नही भेद,
शत्रु भी पचलिना,
मोहन केवे विश्वकर्मा श्वामि,
हो गयो अंतर्ध्यान,
आवो विश्वकर्मा स्वामी,
भवन बना दो आलिशान।।
द्वापुर में कृष्ण चंद जी,
किया प्रभु ने याद,
आओ विश्वकर्मा स्वामी,
भवन बना दो आलिशान।।
गायक – मोहन जी झाला।
प्रेषक – गोपाल सुथार जसोल।
9712406766
https://youtu.be/FVsYrO3YLc8