कर जोड़ खड़ी तेरे द्वार पड़ी,
मेरी सुण लेवो पुकार,
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
ताती तवसी धरती, बऴण लाग्या टीबड़ा,
सारै गैऴै आयी मैं तो, गाती तेरा काकड़ा,
मेरै पगां मं ऽऽऽ पड़ गया फाळा,
अब तो भुजा पसार।।(१)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
ऊंची सी टीबड़ी पै, देख कै अकेली नार,
ढळती सी टीबड़ी पै, गैऴ होग्या धाड़ी चार,
च्यारूं मेर ऽऽऽ अंधेरो होग्यो,
म्हां रै बेशुमार।।(२)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
ऊबी रोवै बामण री,कोई तो बचाल्यो आज,
तेरै सामण़ै ओ ठाडा, ऴुट रयी मेरी लाज,
अब तो ऽऽऽ पऴक उघाड़ मेरे दाता,
चाऴ पड्यो भरतार।।(३)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
आयी ही बेटो ऴेवण, सरवस दे चाली ओ,
लेकर गठजोड़ो आयी, एकऴी चाली ओ,
है यो ऽऽऽ न्याय तेरो तो मैं भी,
चाली चुडऴो उतार।।(४)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
गांव सारो बरज्यो मनै, बरजतां आग्यी मैं,
सासु अर सुसरो जी रै, निजरां मं छाग्यी मैं,
शरणै आयां री ऽऽऽ लाज हाथ तेरै,
रख ले ओ करतार।।(५)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
कदै नीं देख्यो मैं तो, कस्यो होवै सासरो,
प्हैऴी पोत तेरै आग्यी, ले कै तेरो आसरो,
ऐस्यो ऽऽऽ थो कसूर के मेरो,
लेई चुनड़ी उतार।।(६)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
देव तनै मानकर मैं, आग्यी जग छोड़ कै,
ऐस्यो तो भरोसो नीं थो, जास्यूं पल्लो झाड़ कै,
मत सोवै ऽऽऽ दातार श्याम यहां,
मच रयी घोरम धार।।(७)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
दुनिया तो बोऴै सारी, श्याम बड़ो दाता है।
रीती झोळी नै भर दे, भाग्य विधाता है।
मेरी ऽऽऽ बरियां क्यां मं बड़ग्यो,
सुण ऴे सिरजनहार।।(८)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
इतण़ी पुकार सुणी, दीन बंधु दीनानाथ,
ऴीऴै पै चढकै चाल्यो, नंगी तळवार हाथ,
अंजनी रो ऽऽऽ लियो लाल साथ मं,
मोर छड़ी सिरदार।।(९)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
चुग चुग कै धाड़ी मारया, अन्न धन खोस्यो जाय,
रोती बामण री हांसी, मरयोड़ै नै दियो जिवाय,
मोर छड़ी ऽऽऽ रो झाड़ो दीन्हो,
खड्यो करयो भरतार।।(१०)।।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
मगन बामण री नाचै, बोऴै छै जय जयकार,
सब कोई आज्यो आं रै, सांचो छै यो दरबार,
बिगड़ी ऽऽऽ बात बणावै छै यो,
अटकी नै करता पार।।(११)।
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
कर जोड़ खड़ी तेरे द्वार पड़ी,
मेरी सुण लेवो पुकार,
लीले घोड़े वाला हो ज्या लीले असवार।।
प्रेषक – विवेक अग्रवाऴ जी।
९०३८२८८८१५
BABA KI MAHIMA KA KYA KEHNA.. PARNAM UNHE JINHONE YE BHAJAN LIKHA…
AGAR IS BHAJA JI PDF FILE MIL JAYE TO BHUT KRIPA HOGI..
JAI SHRI SHYAM…..