एक अर्ज मेरी सुन लो,
दिलदार हे कन्हैया,
कर दो अधम कि नैया,
कर दो अधम कि नैया,
भव पार हे कन्हैया।।
अच्छा हूँ या बुरा हूँ,
पर दास हूँ तुम्हारा,
जीवन का मेरे तुम पर,
जीवन का मेरे तुम पर,
है भार हे कन्हैया।
एक अर्जं मेरी सुन लो,
दिलदार हे कन्हैया,
कर दो अधम कि नैया,
भव पार हे कन्हैया।।
तुम हो अधम-जनों का,
उद्धार करने वाले,
मैं हूँ अधम जनों का,
मैं हूँ अधम जनों का,
सरदार हे कन्हैया।
एक अर्जं मेरी सुन लो,
दिलदार हे कन्हैया,
कर दो अधम कि नैया,
भव पार हे कन्हैया।।
करुणानिधान करुणा,
करनी पड़ेगी तुमको,
वरना ये नाम होगा,
वरना ये नाम होगा,
बदनाम हे कन्हैया।
एक अर्जं मेरी सुन लो,
दिलदार हे कन्हैया,
कर दो अधम कि नैया,
भव पार हे कन्हैया।।
ख्वाहिश है कि मुझसे,
दृग ‘बिन्दु’ रत्न लेकर,
बदले में दे दो अपना,
बदले में दे दो अपना,
कुछ प्यार हे कन्हैया।
एक अर्जं मेरी सुन लो,
दिलदार हे कन्हैया,
कर दो अधम कि नैया,
भव पार हे कन्हैया।।
एक अर्ज मेरी सुन लो,
दिलदार हे कन्हैया,
कर दो अधम कि नैया,
कर दो अधम कि नैया,
भव पार हे कन्हैया।।
रचना – बिन्दु जी।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।
अति उत्तम