सतरी संगत म्हाने दीजो रे गुरूजी,
दोहा – संत हमारी आत्मा,
ने मै संतन की देह,
रोम रोम में रमरया,
प्रभु ज्यु बादल मे मेष।
सतरी संगत म्हाने दीजो रे गुरूजी,
साध संगत म्हाने दीजो जी,
बार बार म्हारी आ है विनती,
आ किरपा कर दीजो जी,
सतरी संगत म्हानें दीजो गुरूजी,
साध संगत म्हाने दीजो जी।।
सतरी संगत मे ब्रह्म जावे,
बडा बडा ऋषि राही जी,
सतरी संगत मे ब्रह्म जावे,
बडा बडा ऋषि राही जी,
अरे जो सुख है सतरी संगत मे,
वो सुख स्वर्गा नाही जी,
जो सुख है सतरी संगत मे,
वो सुख स्वर्गा नाही जी।
सतरी संगत म्हानें दीजो गुरूजी,
साध संगत म्हाने दीजो जी।।
माता साध पिता मेरा साधु,
साधो रे बीच डोलु जी,
माता साध पिता मेरा साधु,
साधो रे बीच डोलु जी,
भोजन भाव करूँ साधो संग,
साधो रे मुख बोलु जी,
भोजन भाव करू साधो संग,
साधो रे मुख बोलु जी,
सतरी संगत म्हानें दीजो गुरूजी,
साध संगत म्हाने दीजो जी।।
आनंद रूप सदा मन व्यापे,
सदा आनंद मे झुलु जी,
आनंद रूप सदा मन व्यापे,
सदा आनंद मे झुलु जी,
अरे पल पल करू विनती थाने,
नाम घडी नही भूलू जी,
पल पल करू विनती थाने,
नाम घडी नही भूलू जी,
सतरी संगत म्हानें दीजो गुरूजी,
साध संगत म्हाने दीजो जी।।
निर्मल नैन वेन ज्यारा,
निर्मल निर्मल सारा अंगा रे,
निर्मल नैन वेन ज्यारा,
निर्मल निर्मल सारा अंगा रे,
अरे सूर कहे किरपा कर दीजो,
उन संतो रा संगा जी,
सूर कहे किरपा कर दीजो,
उन संतो रा संगा जी,
सतरी संगत म्हानें दीजो गुरूजी,
साध संगत म्हाने दीजो जी।।
सतरी संगत म्हाने दीजो रे गुरूजी,
साध संगत म्हाने दीजो जी,
बार बार म्हारी आ है विनती,
आ किरपा कर दीजो जी,
सतरी संगत म्हानें दीजो गुरूजी,
साध संगत म्हाने दीजो जी।।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
सुनकर मन इतना प्रसन्न हुआ कि ऐसे ही और सुनते रहे | धन्यवाद|