ज्यूँ-ज्यूँ ग्यारस नीङे आवै,
याद कसूती आवै,
रै सुण खाटू आले,
तेरे बिना ना रोटी भावे,
रै सुण लीले आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै।।
बैरण नींद आवै कोन्या,
पीछे मेरे पड़रह्या तू,
क्यूकर मैं भुलाऊं तन्ने,
भीतर ले में बड़रह्या तू,
सुपणे में भी खाटू दिखै,
साबत रात जगावै,
रै सुण खाटू आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै,
रै सुण लीले आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै।।
कालजे मैं म्हारै बाबा,
उठ रही हुक सी,
तेरी याद की या दिल पै,
लागै सै बंदूक सी,
कामकाज मैं जी ना लागै,
तेरी याद सतावै,
रै सुण खाटू आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै,
रै सुण लीले आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै।।
ग्यारस पै मिली या चिट्ठी,
तेरे मेरे मेल की,
आजा-आजा बोलै सीटी,
खाटू आली रेल की,
घड़ी-घड़ी न्यू लागै के,
तू हेल्ला मार बुलावै,
रै सुण खाटू आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै,
रै सुण लीले आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै।।
एकले का जी ना लागै,
बैठया सोचूं कोली मैं,
खाटू के मैं आ के खेलूं,
भगतां से होली मैं,
जे नहीं बुलाया मन्ने,
दुनिया तेरी हंसी उडावै,
रै सुण खाटू आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै,
रै सुण लीले आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै।।
श्याम रंग आली बाबा,
चूंदड़ी मैं ओढूं जी,
इब तो मैं बाबा तेरा,
पिंड कोन्या छोडूं जी,
छोड़ के दुनियादारी “नरसी”,
भजन तेरे ही गावै,
रै सुण खाटू आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै,
रै सुण लीले आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै।।
ज्यूँ-ज्यूँ ग्यारस नीङे आवै,
याद कसूती आवै,
रै सुण खाटू आले,
तेरे बिना ना रोटी भावे,
रै सुण लीले आले,
तेरे बिना ना रोटी भावै।।
लेखक व गायक – श्री नरेश “नरसी” जी फतेहाबाद।
भजन प्रेषक – प्रदीप सिंघल (जीन्द वाले)।