बन बैठा बंजारा तेरे प्यार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में,
तेरे प्यार में, तेरे दरबार में,
तेरे प्यार में, तेरे दरबार में,
हाँ तेरे प्यार में,
बन बैंठा बंजारा तेरे प्यार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में।।
तर्ज – तूने मुझे बुलाया शेरावालिये।
चिंतन तेरा करता रहूं मैं,
वंदन तेरा करता रहूं मैं,
नाम जपूँ मैं हरपल तेरा,
नाम जपूँ मैं हरपल तेरा,
क्या रखा है झूठें इस संसार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में,
बन बैंठा बंजारा तेरे प्यार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में।।
जिस दर पे भी मैंने शीश झुकाया,
एक पिता सा प्यार है पाया,
समझ ना पाया तेरी माया,
समझ ना पाया तेरी माया,
हर कोई अपना लगता इस परिवार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में,
बन बैंठा बंजारा तेरे प्यार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में।।
बंजारा बनकर है रहना,
तेरे ‘प्रमोद’ का है ये कहना,
श्याम के संग भावों में बहना,
श्याम के संग भावों में बहना,
कैसे रहेगी नैया अब मझधार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में,
बन बैंठा बंजारा तेरे प्यार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में।।
बन बैठा बंजारा तेरे प्यार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में,
तेरे प्यार में, तेरे दरबार में,
तेरे प्यार में, तेरे दरबार में,
हाँ तेरे प्यार में,
बन बैंठा बंजारा तेरे प्यार में,
सबकुछ मुझे मिला है दरबार में।।
स्वर – प्रमोद त्रिपाठी जी।