पाँच पीर मक्का सु आया,
पाँच पीर मक्का सु आया,
खम्मा खम्मा खम्मा,
ओ कंवर अजमाल रा,
थाने तो पूजे राजस्थान जियो,
गुजरात जियो,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने।।
पाँच पीर जाँचन ने आया,
बनवायो बाबो भोजन,
पीर बोलीया रामदेव ने,
लगवावो म्हारे आसन,
पीरा रे मन की बाता ने,
बाबो जल्दी पहचानी,
पीरा ने परचो देवन री,
पीरा ने परचो देवन री,
मन ही मन मे है ठाणी,
थाने तो पूजे राजस्थान जियो,
गुजरात जियो,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने।।
पीरा के छाया करवाने,
पाँच पीपलीया करवाई,
आसन दीनो पाँच पीरा ने,
रामदेव आ घर ताई,
भात बनायो रामदेवजी,
कैसी हो गई माया जी,
हवा माई उडता कटोरा,
हवा माई उडता कटोरा,
बाबो मक्का सु मंगवाया,
थाने तो पूजे राजस्थान जियो,
गुजरात जियो,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने।।
खुद का बर्तन देख पीरा रे,
मन में अचरज भर आयो,
जद पीरा रो पीर रामदेव,
कलजुग माई कहलायो,
हाथ जोडकर पीर यु बोल्या,
बाबा तू है अवतारी,
अजमालजी रा लाल रामदेव,
ए अजमलजी रा लाल रामदेव,
थारी लीला है भारी,
थाने तो पूजे राजस्थान जियो,
गुजरात जियो,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने।।
रामदेवजी उन दिन भाया,
हिन्दूवा पीर केवाया है,
कलजुग माई घर घर पूजे,
जबरी इनरी माया है,
दुखीया रा दुख मिट जावे,
साचे मन सु जो ध्यावे,
भवसागर सु पार उतारो,
ए भवसागर सु पार उतारो,
बेडो पार लगावे है,
थाने तो पूजे राजस्थान जियो,
गुजरात जियो,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने।।
खम्मा खम्मा खम्मा,
ओ कंवर अजमाल रा,
थाने तो पूजे राजस्थान जियो,
गुजरात जियो,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने,
घणी घणी खम्मा राजा रामसापीर ने।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818