कभी तन मन लुटा दिया,
कभी दिल से भुला दिया,
वो कान्हा रे ऽऽऽऽ,
सब कुछ भुला गया,
वो कन्हैया मथुरा चला गया,
तेरे वादे वो इरादे,
ओ कान्हा रे मथुरा चला गया,
कन्हैया सब कुछ भुला गया।।
बात कुछ समझ ना आई,
कमी क्या मुझमें पाई,
छोड़कर मुझको मधुबन,
गये मथुरा यदुराई,
हाय उस कुब्जा के खातिर,
तूने राधा को भुला दिया,
तूने ललिता को भुला दिया,
तेरे वादे वो इरादे,
ओ कान्हा रे मथुरा चला गया,
कन्हैया सब कुछ भुला गया।।
तेरे बिन जी ना सकूँगी,
जहर भी पी ना सकूँगी,
ये दिल कहता है मेरा,
कभी अब मिल न सकूँगी,
हाय बेदर्दी मोहन तू,
अपनी मैया को भुला गया,
अपने बाबा को भुला गया,
तेरे वादे वो इरादे,
ओ कान्हा रे मथुरा चला गया,
कन्हैया सब कुछ भुला गया।।
अब मुझे तड़पा नहीं किशन,
विरह दुख होता नहीं सहन,
करो कुछ कृपा कन्हैया अब,
आपसे होवे पुनर्मिलन,
‘इन्दुशेखर’ को भी क्यों प्रभु,
हाय राधा सम भुला दिया,
हाय ललिता सम भुला दिया,
तेरे वादे वो इरादे,
ओ कान्हा रे मथुरा चला गया,
कन्हैया सब कुछ भुला गया।।
कभी तन मन लुटा दिया,
कभी दिल से भुला दिया,
वो कान्हा रे ऽऽऽऽ,
सब कुछ भुला गया,
वो कन्हैया मथुरा चला गया,
तेरे वादे वो इरादे,
ओ कान्हा रे मथुरा चला गया,
कन्हैया सब कुछ भुला गया।।
– गायक एवं प्रेषक –
पं. इन्दुशेखर पाण्डेय कथाव्यास अमिर्ता
6306776170
https://youtu.be/s1f9avODW9M