इस बजरंगी के प्यार में,
कहीं पागल ना हो जाऊं।।
इसके सिर प मुकुट विराजै,
इसके कानों में कुंडल साजै,
मैं इसके कुंडल ने देख क,
कहीं पागल ना हो जाऊं।।
इसके हाथ में गदा विराजै,
इसके गले में माला साजै,
मैं इस की माला ने देख क,
कहीं पागल ना हो जाऊं।।
इसके तन प चोला साजै,
इसके पैर पजनिया बाजै,
इसकी रुनक झुनक ने देख क,
कहीं पागल ना हो जाऊं।।
इसका प्रेम बदन में जागै,
इसका मन भक्ति में लागे,
इसकी भक्ति ने देख क,
कहीं पागल ना हो जाऊं।।
इस बजरंगी के प्यार में,
कहीं पागल ना हो जाऊं।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579