हे ज्ञानवान भगवन,
हम को भी ज्ञान दे दो,
करुणा के चार छींटे,
करुणा निधान दे दो।।
तर्ज़ – ओ दूर के मुसाफ़िर।
सुलझा सकें हम अपने,
जीवन की उलझनों को,
प्रज्ञा ऋतम्भरा सी,
बुद्धि का दान दे दो,
करुणा के चार छींटे,
करुणा निधान दे दो,
हें ज्ञानवान भगवन,
हम को भी ज्ञान दे दो।।
अपनी मदद हमेशा,
ख़ुद आप कर सकें,
हम इन बाजुओं में शक्ति,
हे शक्तिमान दे दो,
करुणा के चार छींटे,
करुणा निधान दे दो,
हें ज्ञानवान भगवन,
हम को भी ज्ञान दे दो।।
उपकार भावना से,
निर्भीक सत्य वाणी,
मीठे ही शब्द बोलें,
ऐसी ज़बान दे दो,
करुणा के चार छींटे,
करुणा निधान दे दो,
हें ज्ञानवान भगवन,
हम को भी ज्ञान दे दो।।
दाता तुम्हारे घर में,
किस चीज़ की कमी है,
चाहो तो निर्धनों को,
दौलत की खान दे दो,
करुणा के चार छींटे,
करुणा निधान दे दो,
हें ज्ञानवान भगवन,
हम को भी ज्ञान दे दो।।
तुम देवता हो सबकी,
बिगड़ी बनाने वाले,
जीवन सफल बने जो,
थोड़ा सा ध्यान दे दो,
करुणा के चार छींटे,
करुणा निधान दे दो,
हें ज्ञानवान भगवन,
हम को भी ज्ञान दे दो।।
डर है ‘पथिक’ तुम्हारा,
रस्ता ना भूल जाएँ,
भक्तों की मण्डली में,
हमको भी स्थान दे दो,
करुणा के चार छींटे,
करुणा निधान दे दो,
हें ज्ञानवान भगवन,
हम को भी ज्ञान दे दो।।
हे ज्ञानवान भगवन,
हम को भी ज्ञान दे दो,
करुणा के चार छींटे,
करुणा निधान दे दो।।
लेखक – सत्यपाल “पथिक”
गायक – दिनेश आर्य “पथिक”
प्रेषक – सौरभ आर्य सुमन
+916206533856
He gyanban bhagvan wala bhajan I like it