चंदो भी फीको पड़ गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
तेरा तो लाड़ लड़ावा रे,
तेरी म्हे नजर उतारा रे।।
ऐसो सज्यो है रूप सांवरा,
सबके मनड़े भायो,
रंग रंगीलो फागणियो,
फागण पे फागण छायो,
भगतां को मनड़ो हर गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
तेरा तो लाड़ लड़ावा रे,
तेरी म्हे नजर उतारा रे।।
सजी धजी या खाटू नगरी,
स्वर्गा ने शरमावे,
स्वर्ग छोड़ के कई देवता,
अठे रमण ने आवे,
प्रेम मुदित मनड़ो भर गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
तेरा तो लाड़ लड़ावा रे,
तेरी म्हे नजर उतारा रे।।
मैं भी थारा दर्शन करने,
खाटू नगरी आया,
अर्जी है सांवरिया था से,
कर दो मन का चाह्या,
‘संजू’ भी शरणे पड़ गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
तेरा तो लाड़ लड़ावा रे,
तेरी म्हे नजर उतारा रे।।
चंदो भी फीको पड़ गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
सांवरियो जादू कर गयो रे,
तेरा तो लाड़ लड़ावा रे,
तेरी म्हे नजर उतारा रे।।
स्वर – संजू शर्मा जी।