ॐ नमस्कार गुरुसा बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा,
ॐ नमस्कार हर बारम्बारा।।
अनन्त कोटि दया के स्वामी,
जड़ चेतन में वास तुम्हारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
न तू किसी में न तेरे में,
ऐसा निर्गुण रुप तुम्हारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
आप ही सब में सब तेरे में,
ऐसा सगुण रुप तुम्हारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
आप ही बाहर आप ही भीतर,
सब धट में प्रकाश तुम्हारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
आप ही जल में आप ही थल में,
जहाँ देखू तहाँ वास तुम्हारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
आप ही कर्ता आप ही भर्ता,
सब जग में विस्तार तुम्हारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
आप ही सुरज आप ही चन्दा,
आप ही हो मण्डल के तारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
आप ही ब्रहमा आप ही विष्णु,
आप ही हो ईशवर ओंकारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
सच्चे मन से जो ध्यान लगावे,
जब हो दर्शन नाथ तुम्हारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
गुरु प्रताप भणे ब्रहचारीजी,
सच्चिदानंद गुरु तुम्हारा,
ॐ नमस्कार गुरु बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा।।
ॐ नमस्कार गुरुसा बारम्बारा,
ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा,
ॐ नमस्कार हर बारम्बारा।।
प्रेषक – भीमसिंह राजपुरोहित।
मायलावास 9448241756