लागे रे मोहे राम प्यारा हो,
दोहा – हरि भगतों से बेर,
प्रीत संसार से,
वो नर नरका जाय,
कुटुम्ब परिवार से।
तुलसी इण संसार में,
के पईसो के राम,
राम ले जावे मोक्ष को,
पईसो सारे काम।
लागे रे मोहे राम प्यारा हो,
प्रीत तजी संसार से ओ,
किया मन न्यारा हो,
लागें मोहे राम प्यारा हो।।
सतगुरु शब्द सुणविया दिया,
ज्ञान विचारा हो,
भरम तिमिर भागे सबे घट,
होया उजियारा हो,
लागें मोहे राम प्यारा हो।।
मैं बन्दा उस ब्रह्म का ज्यांका,
वार न पारा हो,
ताही भजे कोई साधवा जिन,
तन मन वारा हो,
लागें मोहे राम प्यारा हो।।
चाख चाख फल छोड़िया,
माया रस खारा हो,
राम अमी रस पीजिये दिन,
बारहम बारहा हो,
लागें मोहे राम प्यारा हो।।
आन देव को ध्यावसी ज्यांरे,
मुख क्षारा हो,
राम निरंजन ऊपरे,
जन सुन्दर वारा हो,
लागें मोहे राम प्यारा हो।।
लागे रे मोहे राम प्यारा हों,
प्रीत तजी संसार से ओ,
किया मन न्यारा हो,
लागें मोहे राम प्यारा हो।।
स्वर – सुनीता जी स्वामी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
बहुत सुन्दर भजन वाणी