होठों पे दुआ रखना,
राहों में नजर रखना,
शायद वो आ जाए,
दरवाजा खुला रखना।।
यहाँ जोर नहीं चलता,
मर्जी के मालिक हैं,
मिन्नत ही किए जाना,
फरियाद किए जाना।
होठो पे दुआ रखना,
राहों में नजर रखना,
शायद वो आ जाए,
दरवाजा खुला रखना।।
हो जाए कभी करुणा,
तशरीफ़ वो ले आए,
चरणों से लिपट रहना,
अशको से धो देना।
होठो पे दुआ रखना,
राहों में नजर रखना,
शायद वो आ जाए,
दरवाजा खुला रखना।।
शर्माना ना अपने हैं,
आवाज दिए जाना,
आंगन को सजा रखना,
फरियाद किए जाना।
होठो पे दुआ रखना,
राहों में नजर रखना,
शायद वो आ जाए,
दरवाजा खुला रखना।।
होठों पे दुआ रखना,
राहों में नजर रखना,
शायद वो आ जाए,
दरवाजा खुला रखना।।
स्वर – श्री रविनंदन शास्त्री जी।
प्रेषक – नितीश
9646313868