इतना दिया तूने,
ओ शीश के दानी,
तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
तर्ज – ये रेशमी झुल्फें।
मेरी तक़दीर में भी जो,
लिखा ना था,
मैंने सपनों में भी,
जो सोचा ना था,
तूने वो दी सौगातें,
खुशियों की कर दी बरसातें,
तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
मैं तो जीता रहा,
बस मेरे लिए,
कुछ तो भी ना किया,
बाबा तेरे लिए,
फिर भी मेरा साथ निभाया है,
हर वक्त मुझे अपनाया है,
तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
‘सोनू’ कहता ये कैसी,
करुणा तेरी,
खुश होकर भी रोती है,
अखियां मेरी,
जन्म जन्म तक श्याम तेरा,
उतरेगा ना अहसान तेरा,
तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
इतना दिया तूने,
ओ शीश के दानी,
तेरा शुक्रिया,
है तेरा शुक्रिया।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
mere pass bolne ke liye koi word ni itna accha lga ki ye sunte hi insan ki battery charge ho jati hi