किस मोड़ पे आके प्रभु,
देखो हम आज खड़े,
जहाँ देखो वही सुना,
बंद कमरों में लोग पड़े।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है।
कलयुग में पापो का,
क्या बढ़ने लगा है प्रभाव,
या धर्म की पूंजी का,
प्रभु होने लगा है अभाव,
कोई जोर नही चलता,
हम निर्बल कैसे लड़े,
जहाँ देखो वही सुना,
बंद कमरों में लोग पड़े
किस मोड पे आके प्रभु,
देखो हम आज खड़े।।
क्यो चुप बैठे हो तुम,
है तीन भुवन के नाथ,
कोरोना रूपी राक्षस,
बेठा है लगाये घात,
अब तक कितने निर्दोष,
इसकी भेंट चढ़े
जहाँ देखो वही सुना,
बंद कमरों में लोग पड़े
किस मोड पे आके प्रभु,
देखो हम आज खड़े।।
आ जाओ श्याम प्रभु,
सुनकर ये करुण पुकार,
कोरोना का नाश करो,
सुखमय हो ये संसार,
दिलबर ये कहे शैलू,
श्री श्याम है जग में बड़े,
जहाँ देखो वही सुना,
बंद कमरों में लोग पड़े
किस मोड पे आके प्रभु,
देखो हम आज खड़े।।
किस मोड़ पे आके प्रभु,
देखो हम आज खड़े,
जहाँ देखो वही सुना,
बंद कमरों में लोग पड़े।।
गायक – शेलेन्द्र नीलम मालवीया।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’
नागदा 9907023365