आरती लेकर खड़ा हुआ,
दरबार तेरे भोले बाबा,
मुझ गरीब की आरती,
स्वीकारो भोले बाबा।।
धन होता तो धन लेकर,
दरबार आपके आता,
स्वर होता तो प्रेम सहित,
गुणगान आपके गाता,
सेवा करने से हर प्रकार,
लाचार भोले बाबा,
मुझ गरीब की आरती,
स्वीकारो भोले बाबा।।
नहीं मागता धन और दौलत,
ना कोई भी माया,
आ जाऔ इस मन मन्दिर में,
हीन भाव से आया,
मन मंदिर में दर्शन दे कर,
उपकार भोले बाबा,
मुझ गरीब की आरती,
स्वीकारो भोले बाबा।।
जप तप पूजा पाठ प्रभुजी,
मैं कुछ भी ना जानू,
दास भक्त का निर्मल रिस्ता,
बस इतना ही मानू,
भक्त समझ कर सबका,
कर उद्धार भोले बाबा,
मुझ गरीब की आरती,
स्वीकारो भोले बाबा।।
धूप दीप नैवेद्य आरती,
भोग भाव से लाया,
भक्ति देकर निर्मल कर दो,
ये पापी काया,
अपने भक्तों को हर दम,
देना प्यार भोले बाबा,
मुझ गरीब की आरती,
स्वीकारो भोले बाबा।।
आरती लेकर खड़ा हुआ,
दरबार तेरे भोले बाबा,
मुझ गरीब की आरती,
स्वीकारो भोले बाबा।।
स्वर – सुरेश अवस्थी जी।
प्रेषक – बृजभूषण मिश्र।
9838790165