सतगुरु आया रे सखी,
म्हारा धिन गुरु आया रे,
राम राम राम म्हारा,
सतगुरु आया रे।।
ऊंचो ढलावा बैठणो रे,
गादी पिलंग बिसावा,
जनम मरण रा साँचा वे तो,
गुरु भल आया रे,
सतगुरु आया रें सखी,
म्हारा धिन गुरु आया रे।।
भाव रा भोजन बनाया,
तनमन सीना रे,
घनी हरक से हुई बलिहारी,
चरणा में रहना रे,
सतगुरु आया रें सखी,
म्हारा धिन गुरु आया रे।।
नाथ गुलाब गुरु पूरा मिलिया,
तारण आया हो,
भवानी नाथ सतगुरु चरणे,
वदावा आया रे,
सतगुरु आया रें सखी,
म्हारा धिन गुरु आया रे।।
सतगुरु आया रे सखी,
म्हारा धिन गुरु आया रे,
राम राम राम म्हारा,
सतगुरु आया रे।।
प्रेषक – प्रताप जांगिड़।
9950903793