सिंह दहाड़े मेघ घणाघण,
देवल ढोल बजंता,
सिंह दहाड़े मेघ घणाघण,
देवल ढोल बजंता,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे माँ चामुंडा,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे मां चामुंडा,
आवे मां चामुंडा म्हारी,
आवे मां चामुंडा।।
देवल री सुण करूण वीणती,
कंकाली बन आई,
चण्ड-मुंड असुरा ने मारया,
चामुंडा कहलाई,
कीरत पुगी तीन लोक में,
शक्ति रूप अनंता,
कीरत पुगी तीन लोक में,
शक्ति रूप अनंता,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे मां चामुंडा,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे मां चामुंडा,
आवे मां चामुंडा म्हारी,
आवे मां चामुंडा।।
महादेव री पटराणी थे,
जग री पालनहारी,
रक्तथार रो पान करायो,
भूख हरी सखियां री,
तू ही काळी तू ही दुर्गा,
तू ही मां जगदम्बा,
तू ही काळी तू ही दुर्गा,
तू ही मां जगदम्बा,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे मां चामुंडा,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे मां चामुंडा,
आवे मां चामुंडा म्हारी,
आवे मां चामुंडा।।
तीर पकड़ रावण मरवायो,
रघुपति महिमा गाई,
दानव दल संहार करण मां,
कण-कण माई समाई,
शीतल दुर्गम मधु केटभ और,
मारया शुंभ निशुंभ,
शीतल दुर्गम मधु केटभ और,
मारया शुंभ निशुंभ,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे मां चामुंडा,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे मां चामुंडा,
आवे मां चामुंडा म्हारी,
आवे मां चामुंडा।।
भक्तो री मां आप रुखाळी,
राखे सुख री छाया,
जद जद भक्त बुलाया थाने,
अविलंब आप पधारया,
शरण शिवा कविराय कहे मां,
करो सकल आनंदा,
चरणों में प्रकाश विनत मां,
करो सकल आनंदा,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे मां चामुंडा,
भक्तो री अवराधि,
म्हारी आवे माँ चामुंडा,
आवे मां चामुंडा म्हारी,
आवे मां चामुंडा।।
गायक / प्रेषक – प्रकाश परिहार।
9928880609
लेखक – जितेंद्र शिवा।