कजरा बनके बसजा श्याम,
तू आजा मोरी अखियन में,
आजा मोरी इन अखियन में,
बसजा मोरी इन अखियन में,
कजरा बनकें बसजा श्याम,
तू आजा मोरी अखियन में।।
नैनो को खोलूं तो तुझी को ही देखूं,
झपकु पलक तो तुम्ही को ही देखूं,
तुझे देखूं मैं आठो याम,
तू आजा मोरी अखियन में,
कजरा बनकें बसजा श्याम,
तू आजा मोरी अखियन में।।
तेरे दरश को तरसती है अंखिया,
कर कर के यादे बरसती है अंखिया,
मन के मंदिर में गूंजे तेरा नाम,
तू आजा मोरी अखियन में,
कजरा बनकें बसजा श्याम,
तू आजा मोरी अखियन में।।
मैं तो हुई श्याम तेरी दीवानी,
कह ना सकूँ मैं किसी से कहानी,
तेरी मस्ती का छलके जाम,
तू आजा मोरी अखियन में,
कजरा बनकें बसजा श्याम,
तू आजा मोरी अखियन में।।
सदियों से मैं तेरे दर्शन को प्यासा,
नैना भी प्यासे प्यासे दिल मेरा प्यासा,
तेरा पागल खड़ा दिल थाम,
तू आजा मोरी अखियन में,
कजरा बनकें बसजा श्याम,
तू आजा मोरी अखियन में।।
कजरा बनके बसजा श्याम,
तू आजा मोरी अखियन में,
आजा मोरी इन अखियन में,
बसजा मोरी इन अखियन में,
कजरा बनकें बसजा श्याम,
तू आजा मोरी अखियन में।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र महाराज जी।