पार करो मेरा बेडा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी,
तर्ज – फूल तुम्हे भेजा है खत में
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी,
आस लगाए दर पे खड़ी हूँ,
तेरे चरणों की दासी,
पार करो मेरा बेडा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।।
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी,
तीनो लोक में नाम तुम्हारा,
स्वामी तुम घट घट वासी,
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।।
सबकी तुने बिगड़ी बनाई,
मुझसे क्यों मुख फेर लिया,
जो भी आया तेरे द्वारे,
भर उसका भंडार दिया,
बाँट के अमृत सारे जग को,
तूने बाबा जहर पिया,
आके संभालो हे दुःख भंजन,
मुझको दुखो ने घेर लिया,
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।।
सुनलो मेरी करुण कहानी,
भर भर नैन मेरे आये,
तेरे द्वारे रोऊ बाबा,
तू करुणाकर कहलाये,
तेरी दया के सागर से,
कुछ बुँदे मुझको मिल जाये,
सच कहती हूँ जीवन रूपी,
चमन मेरा भी खिल जाये,
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।।
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी,
आस लगाए दर पे खड़ी हूँ,
तेरे चरणों की दासी,
तीनो लोक में नाम तुम्हारा,
स्वामी तुम घट घट वासी,
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।।