सुन सुन रे म्हारा प्यारा नन्दलाला,
बागा रो मोरियो बनाय दीजे,
मंदिरिया में म्हाने नचाय लीजे,
मंदरिया में म्हाने नचाय लीजे।।
तर्ज – उड़ उड़ रे म्हारा।
चुन चुन फुलड़ा हार बनाऊं,
सावरियां की बंसी नीली पंखा सु सजाऊं,
मोर पंख माथे पे सजाय लीजे,
मंदरिया में म्हाने नचाय लीजे।।
भर चोंच खीर पूड़ी तने मैं खिलाऊं,
सावरियां की झूठन मैं तो चुगचुग जाऊं,
झूठो पानी थारो पिलाए दीजे,
मंदरिया में म्हाने नचाय लीजे।।
पीहू पीहू करके मीठा भजन सुनाऊं,
पंख फैलाकर तने नाच के दिखाऊं,
‘केशव’ ने सेवकियो बनाय लीजे,
मंदरिया में म्हाने नचाय लीजे।।
सुन सुन रे म्हारा प्यारा नन्दलाला,
बागा रो मोरियो बनाय दीजे,
मंदिरिया में म्हाने नचाय लीजे,
मंदरिया में म्हाने नचाय लीजे।।
स्वर – पिंकी जी गहलोत।
लेखक – मनीष शर्मा “मोनु”
9854429898