थारी मुरली मनड़ो मोयो कान्हा,
और बजाओ थारी मुरली ने।।
आ मुरली मीरा नै मोई,
राणा जी ने छोड़ मीरा राम संग होई,
मेड़तिया छीटकायो काना,
और बजाओ थारी मुरली ने।।
इण मुरली ने नरसी मोई,
सरवर पाल खड़ी नानी बाई रोई,
आ के भात भरायो काना,
और बजाओ थारी मुरली ने।।
इण मुरली ने द्रोपती मोई,
भरी सभा में झुर झुर रोई,
आ के चीर बढ़ाया कान्हा,
और बजाओ थारी मुरली ने।।
काना लागा रे पेरवा,
ब्रह्मलोक में हुई सेवना,
ब्रह्म रो वेद भुलायो कान्हा,
और बजाओ थारी मुरली ने।।
अबके करोनी आवण री देरी,
ओलबा लिख शीव बिकानेरी,
करीयोड़ा कवल निबाओ कान्हा,
और बजाओ थारी मुरली ने।।
थारी मुरली मनड़ो मोयो कान्हा,
और बजाओ थारी मुरली ने।।
गायक – सत्यनारायण जी शर्मा।
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा
9024909170
https://youtu.be/uEmjF_eFeHI