वतन के सिवा कुछ ना चाहत करेंगे,
कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे।।
तर्ज – तेरे सिवा कुछ ना।
ओ अमर शहीद मेरी सांसो में हो तुम,
ओ अमर शहीद मेरे ख्वाबो में हो तुम,
तेरे बलिदान पे तो बोल मेरे हैं कम,
गर्व से भरा है सीना आंख मेरी हैं नम,
देश का हर इक इक हो,,
देश का हर इक इक इंसां कहेंगे,
कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे,
वतन के सिवा कुछ न चाहत करेंगे,
कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे।।
ऊंचा तिरंगा तेरा स्थान रहेगा,
दुनिया मे भारत का नाम रहेगा,
माँ पिता भाई बहना का मान रहेगा,
पत्नी के दिल में भी अभिमान रहेगा,
भगतसिंह सुभाष मरके हो,,
भगतसिंह सुभाष मरके ज़िंदा रहेंगे,
कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे,
वतन के सिवा कुछ न चाहत करेंगे,
कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे।।
सभी देशवासी हैं हां साथ तेरे,
भूलेंगे हम ना एहसान तेरे,
करूँ मैं गुजारिश सुनो भाई बहना,
शहीदों के घर को रखो जैसे हो गहना,
ये वादा किया तो हो,,
ये वादा किया तो जोश से लड़ेंगे,
कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे,
वतन के सिवा कुछ न चाहत करेंगे,
कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे।।
वतन के सिवा कुछ ना चाहत करेंगे,
कि जब तक जिएंगे वतन पे मरेंगे।।
गायक – मुकेश कुमार जी।
Sir Bhaut khub