बैठे हो क्यों ओ सांवरे,
हमसे निगाहें फेर कर,
कुछ तो इशारा कीजिये,
अपने गले लगाइये,
गलती हमारी भूल कर,
अपनी शरण में लीजिये,
बैठे हो क्यों ओ साँवरे,
हमसे निगाहें फेर कर,
कुछ तो इशारा कीजिये।।
तर्ज – जाने कहाँ गए वो दिन।
मेरा वजूद कुछ नहीं,
तेरे बिना ओ सांवरे,
पायी है धुप में सदा,
मैंने तुम्ही से छाँव रे,
बैठे हो क्यों ओ साँवरे,
हमसे निगाहें फेर कर,
कुछ तो इशारा कीजिये।।
कल भी तुम्हारी आस थी,
अब भी तुम्हारी आस है,
जग की गरज मैं क्यों करूँ,
जब तू हमारे पास है,
बैठे हो क्यों ओ साँवरे,
हमसे निगाहें फेर कर,
कुछ तो इशारा कीजिये।।
पुतले हैं पाप के प्रभु,
आखिर तो हम इंसान हैं,
क्या है गलत और क्या सही,
‘माधव’ हमें ना ज्ञान है,
बैठे हो क्यों ओ साँवरे,
हमसे निगाहें फेर कर,
कुछ तो इशारा कीजिये।।
बैठे हो क्यों ओ सांवरे,
हमसे निगाहें फेर कर,
कुछ तो इशारा कीजिये,
अपने गले लगाइये,
गलती हमारी भूल कर,
अपनी शरण में लीजिये,
बैठे हो क्यों ओ साँवरे,
हमसे निगाहें फेर कर,
कुछ तो इशारा कीजिये।।
Singer – Nisha Soni