कोयल वाणी बोल रे कागा,
दोहा – कागा किसका धन हरे,
कोयल किसको दे,
अरेे मीठी वाणी बोल के,
वा जुग अपना करले।
कोयल वाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
हरि रो नाम ले बन्दा,
क्यु थारी जीभ घिस जावे,
सावरिया रो नाम ले बन्दा,
क्यु थारी जीभडली घिस जावे,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
पाँचो ही सखीया बाग में जावे,
झोली भर फूलडो री लावे,
पाँचो ही सखीया बाग में जावे,
झोली भर फूलडो री लावे,
आधा लावे सतगुरु ने देवे,
आधा वा गोद में राखे,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
आम्बलीया री टूटी रे डाली,
ओ रोवे बाग रो माली,
आम्बलीया री टूटी रे डाली,
ओ रोवे बाग रो माली,
क्यु रोवे बाग रा माली,
पाछी नही लागे वा डाली,
क्यु रोवे बाग रो माली,
पाछी नही लागे वा डाली,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
मीरा बाई चरनो री दासी,
कट जाई जमडा री फांसी,
मीरा बाई चरनो री दासी,
कट जाई जमडा री फांसी,
कोयल बाणी बोल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
कोयल वाणी बोंल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा,
कोयल बाणी बोंल रे कागा,
मेरा मन राम से लागा।।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818