सत गुरु मिलिया भागी भरमना,
पाप नहीं पनोती,
पुरबले री प्रीतो पालो,
बहुत करें असतुती।।
दिल दरिया मे डुबकी लेणा,
मोती लेणा गोती,
डावी इगला जिमणी पिगला,
अध बिस गंगा उलटी,
मन केरो साबुन पवन केरो,
पाणी धोऐले भरम री धोती।।
इण काया मे नौव दरवाजा,
दसवें आडी खिडकी,
ओ खिडकी कोई संत खोले,
कुशी ले उण घर की।।
रणु कार पर झणु कार हैं,
झणु कार पर जोती,
जोती उपर अभे सुण है,
अभे सुण पर मोती।।
खारे सागर मे शिप निपजे,
सवा लाख रो मोती,
भावपुरी सरणे डुगरपुरी,
बोले हरि रो हार पुरोती।।
सत गुरु मिलिया भागी भरमना,
पाप नहीं पनोती,
पुरबले री प्रीतो पालो,
बहुत करें असतुती।।
प्रेषक – मांगीलाल राजपुरोहित
8875733390