कान्हा बस तेरा सहारा,
छाये घने काले बादल,
करो उजियारा।।
तर्ज – तू मेरी जिंदगी है।
भटके हुए की इक आस है तू,
भटके हुए की इक आस है तू,
कभी बुझ ना पाए ऐसी,
इक प्यास है तू,
प्रेम का तू अमृत सागर,
तू ही उसकी धारा,
कान्हा बस तेंरा सहारा।।
जीवन सफर में कभी जो कोई हारा,
जीवन सफर में कभी जो कोई हारा,
आ गया शरण जो तेरी,
पा गया किनारा,
नैया चला दी सरपट,
दिखाया किनारा,
कान्हा बस तेंरा सहारा।।
अगर तुम ना होते हम जी ना पाते,
अगर तुम ना होते हम जी ना पाते,
पता नही कब के ही हम,
खाक में समाते,
हर जन्म में मिल जाओगे,
वचन हो तुम्हारा
कान्हा बस तेंरा सहारा।।
कान्हा बस तेरा सहारा,
छाये घने काले बादल,
करो उजियारा।।
गायक – मुकेश कुमार जी।