हो आज लक्ष्मन पड़ा निष्प्राण है पङा,
निष्प्राण है पड़ा हो आज लक्ष्मन,
(तर्ज :- हो आज मौसम बड़ा … फि॰ लोफर)
हो आज लक्ष्मन पड़ा निष्प्राण है पङा,
निष्प्राण है पड़ा हो आज लक्ष्मन,
लाने वाला बूँटी हनुमान है एक तू ही-2,
हो आज लक्ष्मन …
तेरे बिना भैया मेरा कोई नहीँ,
भुजा मेरी टूट गई बचा कुछ नहीँ,
सुनकर रो-रो मरेगी अब मैया,
दिखाऊँगा मुँह कैसे मैँ जो तू उठा नहीँ,
नैनोँ से नीर झरे बेहाल भगवान है॥१॥
हो आज लक्ष्मन …
धीरे-धीरे अब रात ढल रही है,
साँसे लखन की मन्द–2 चल रही हैँ,
नर वानर सब आँसू बहा रहे हैँ,
बीत गयी जो रात बचने की आशा नहीँ है,
राह देख रहे सभी आये न हनुमान हैँ॥२॥
हो आज लक्ष्मन …
कहा एक दूत ने बजरंग आ रहे हैँ,
साथ मेँ अपने पर्वत ही ला रहे हैँ,
घोल पिलाई जब संजीवन बूँटी,
होश मेँ आये लक्ष्मन निन्द्रा टूटी,
‘खेदड़’ जै जैकार करे खुश हुए भगवान हैं॥३॥
हो आज लक्ष्मन …
हो आज लक्ष्मन पड़ा निष्प्राण है पङा,
निष्प्राण है पड़ा हो आज लक्ष्मन,
लाने वाला बूँटी हनुमान है एक तू ही-2,
हो आज लक्ष्मन … “By Pkhedar”