हर घड़ी याद सताये मोहन,
दोहा – आ भी जा श्याम मेरे,
तीरे जुदाई से,
मेरे सीने में भारी,
ज़ख्म हो गया है,
इतना रोया है ये दिल,
तेरी याद में,
मेरी आँखों का पानी,
खत्म हो गया है।
हर घड़ी याद सताये मोहन,
तेरे गम में मैं बन गई जोगन,
मेरी अखियाँ भी बन गई बैरन,
तेरे गम में मैं बन गई जोगन।।
तर्ज – जिन्दा रहने के लिए।
ये सोचा नही था कि तेरे बिना,
विरह का ये विष पड़ेगा पीना,
खड़ी हूँ तेरी राह में,
ना कोई मेरे पास है,
नैनों से बहे नीर और,
मन भी उदास है,
ये मन भी उदास है,
तेरे गम में मैं बन गई जोगन।।
मैं तो बैठी हूँ यहाँ,
श्याम तू ना आये,
बिन तेरे ओ नटवर,
दिल मेरा घबराये,
चलते मेरे तो कदम,
डगमगाने हैं लगे,
मेरी हर स्वांस भी अब तो,
रुक जाने को कहे,
ओ मेरे मसीहा मुझे थाम ले,
मैं तेरी तू मेरा है ये जान ले,
सहे खूब मैंने जुदाई के गम,
लगे अब तो जीना भी मुझको भरम,
बंधी हूँ तेरी प्रीत से,
ना मेरा ये कसूर है,
बतादे मेरे सांवरा,
पर तु क्यूँ मजबूर है,
हाँ तू क्यूँ मजबूर है,
तेरे गम में मैं बन गई जोगन।।
तुझे ओ कन्हैया आना ही पड़ेगा,
ज़माने को जलवा दिखाना पड़ेगा,
तू दीन का सहाय है,
भरोसा विश्वास है,
पड़ेगी तुझे सुननी,
ये दिल की आवाज़ है,
ये दिल की आवाज़ है,
तेरे गम में मैं बन गई जोगन।।
हर घड़ी याद सताये मोहन,
तेरे गम में मैं बन गई जोगन,
मेरी अखियाँ भी बन गई बैरन,
तेरे गम में मैं बन गई जोगन।।
Singer & Lyrics – Mukesh Kumar Ji