श्रवण कुमार की कथा लिरिक्स,
दोहा – संसार सागर हैं अगर,
तो माता-पिता ही नाव है,
जिसने करी सेवा तो,
मानो उसका बेड़ा पार हैं।
जिसने दुखाई आत्मा,
वो डूबता मझधार है,
माता पिता परमात्मा,
मिलते ना बारम्बार है।
अवध नगर कितनी दूर हैं,
श्रवण तेरी माँ को पिर हैं,
अब पाँव थके रुक जारे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
प्यासे हैं नीर पिला रे,
श्रवण सुन लाल हमारे।।
अवधपति यूं कह रयो,
की आयो नही श्रवण कुमार,
मेरे तो कोई लाल नही,
उस लाल को लेउ निहार,
बिन लाल के सुना लगे,
महल और बागे बहार,
पुत्र के वियोग माही,
दशरथ खेलन चले शिकार।।
सुबह से सांझ होइ आई,
कोई शेर शिकार नही आई,
अब ताल भरा हैं हमारे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
प्यासे हैं नीर पीला रे।।
एक वृक्ष की ओट में,
दशरथ खड़े सिंह की तलाश में,
श्रवण चला लेने को जल,
लेकर कमंडल हाथ में,
घनघोर काली रात थी,
पत्ते बिझे थे राह में,
पेर की आवाज सुन दशरथ,
बाण धर लियो चाप पे।।
दशरथ जाने सिंह कोई आयो,
दशरथ ने बाण चलायो,
सीने में बाण लगा रे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
प्यासे हैं नीर पिला रे,
श्रवण सुन लाल हमारे।।
अब नीर पिला रे प्राण पियारे,
नीर पीला रे प्राण पियारे,
सूखे अलख हमारे,
प्यासे हैं नीरे पीला रे।।
तीर सीना चीरकर,
तीर सीना चीरकर,
और काल बनकर खा गयो,
आह की आवाज सुनकर,
दशरथ वहाँ पर आ गयो,
देखकर श्रवण को राजा,
फूल ज्यूँ कुम्भला गयो,
हाय मेरे हाथ से,
मेरो ही सुत मारयो गयो।।
पहले में पुत्र दुखयारो,
दूजो लाल परायो मार्यो,
उठ ह्रदय से लग जा रे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
अब नीर पीला रे प्राण पियारे,
नीर पीला रे प्राण पियारे,
सूखे अलख हमारे,
प्यासे हैं नीर पिला रे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
प्यासे हैं नीर पिला रे।।
धीरज धरो हिमत्त करो,
इस पात्र को जल से भरो,
प्यासे मेरे माता पिता,
चिंता फिकर उनकी करो,
पहले पिलाना नीर उनको,
फिर कहना श्रवण मर्यो,
अंत का ये अंत हैं,
इतना धर्म मुझ पर करो।।
मुह फेर लिया लाल नही बोले,
दसरथ हिरदय में तोले,
अब श्रवण सुरग सिधारे,
प्यासे हैं नीर पीला रे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
प्यासे हैं नीर पिला रे,
अब नीर पीला रे प्राण पियारे बेटा,
नीर पीला रे प्राण पियारे।।
भर कमंडल नीर का,
ओर भर पलकों में नीर,
लाख कर्यो राजा जतन,
पर बन्धो न दिल को धीर।।
श्रवण के माता पिता,
के धर्यो हाथ पर नीर,
कहो लाल क्यों घबरा रयो,
थारो थर थर कांपे रयो शरीर,
कहोजी लाल काईं आफत आई,
कहो लाल काई आफत आई,
तू श्रवण दिखे नही,
तू कोंन हैं सच बतला रे,
प्यासे हैं नीर पीला रे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
प्यासे हैं नीर पीला रे।।
श्रवण नही में काल हूँ,
तेरे लाल हूं को खा गयो,
सिंह के धोखे में,
श्रवण हाथ से मार्यो गयो,
मार कर मेरे लाल को,
अछ्यो स्वागत तू कियो,
अरे कोन से जनम को बदलो,
इस जनम म ले लियो।।
धरती पर पांव फैलाये,
घड़ी इनको कोंन समझाए,
अब लाल ही लाल पुकारे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
प्यासे हैं नीर पीला रे।।
की हमरा तो दीपक बूझ गया,
तेरा युही बुझ जाएगा,
ओर चार बेटा होयेगा पर,
काम एक न आएगा।
पुत्र की ममता का राजा,
पता तुझे लग जाएगा,
हाय बेटा हाय बेटा,
कहकर ही मर जायेगा।।
सोहनलाल लोहाकार समझावे,
सोहनलाल लोहाकार समझावे,
प्यासे पक्षी उड़ जावे,
दोनों ही सुरग सिधारे,
प्यासे हैं नीर पीला रे,
श्रवण सुन लाल हमारे,
प्यासे हैं नीर पीला रे।।
गायक – अमरचन्द जी सोनी।
प्रेषक – विशाल सोनी
9928125586