केड़ो बेरी आयो सावणीयो,
आयो नहीं घर आवणीयो।।
और रा पीव सब घर आया,
म्हारे श्याम ने कुण बिलमाया,
अरे बाने कोई नही समझावणीयो,
केडो बेरी आयो सावणीयो,
आयो नहीं घर आवणीयो।।
ऐसो नटखट कवंर कन्हाई,
छोड़ गयो बिलखत चतुराई,
अरे वह जमुना रास रचावणीयो,
केडो बेरी आयो सावणीयो,
आयो नहीं घर आवणीयो।।
सांवरिया सुन अर्जी मारी,
रो रो थक गई राधा प्यारी,
वो कित गियो प्रीत निभावणीयो,
केडो बेरी आयो सावणीयो,
आयो नहीं घर आवणीयो।।
एक बार आजा कृष्ण मुरारी,
तीन लोक के तारण हारी,
अरे तू मुरली मधुर बजावणीयो,
केडो बेरी आयो सावणीयो,
आयो नहीं घर आवणीयो।।
थे भक्ता का हो हितकारी,
अब के लाज राखजो मारी,
थारो ‘रामनिवास’ गुण गावणीयो,
केडो बेरी आयो सावणीयो,
आयो नहीं घर आवणीयो।।
केड़ो बेरी आयो सावणीयो,
आयो नहीं घर आवणीयो।।
गायक – श्री रामनिवासजी राव।
प्रेषक – सुभाष सारस्वत काकड़ा।
9024909170