हिये काया में बर्तन माटी रा,
दोहा – कबीरा जब हम पैदा हुए,
जग हंसा हम रोय,
कुछ करणी ऐसी करें,
की हम हंसे जग रोय।
कबीर कहे कमाल से,
तु दो बाता सिख लेय,
कर सायब से बंदगी,
और भूखे को अन्न देय।
हिये काया में बर्तन माटी रा,
टूटे जासी नहीं कर राङ को,
सायब हमको डर लागो,
एक दिन को,
सायब हमको डर लागो,
एक दिन को,
एक ही दिन को घड़ी पलक रो,
एक ही दिन रो घड़ी पलक रो,
नहीं है भरोसो पल छिन को,
सायब हम को डर लागो,
एक दिन को।।
हिये काया में माला मोतियन की,
हिये काया में माला मोतियन की,
टूटे जासी डोरों रुङो तन को.
सायब हमको डर लागो,
एक दिन को,
एक ही दिन को घड़ी पलक रो,
एक ही दिन रो घड़ी पलक रो,
नहीं है भरोसो पल छिन को,
सायब हम को डर लागो,
एक दिन को।।
कहत कबीर सुनो भाई संतों,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
पहला नाम अलख रो,
सायब हमको डर लागो,
एक दिन को,
एक ही दिन को घड़ी पलक रो,
एक ही दिन रो घड़ी पलक रो,
नहीं है भरोसो पल छिन को,
सायब हम को डर लागो,
एक दिन को।।
हिये काया मे बर्तन माटी रा,
टूटे जासी नहीं कर राङ को,
सायब हमको डर लागो,
एक दिन को,
सायब हमको डर लागो,
एक दिन को,
एक ही दिन को घड़ी पलक रो,
एक ही दिन रो घड़ी पलक रो,
नहीं है भरोसो पल छिन को,
सायब हम को डर लागो,
एक दिन को।।
गायक – प्रमोद पंडित अर्जियाना।
प्रेषक – सौरव गर्ग।
मो. – 9610190649
Both acha