लाज बचाता है गले लगाता है,
मुझे अपने हाथों से,
संभालता है श्याम,
मेरी हर मुसीबत को भी,
टालता है श्याम,
माँगना पड़ता नहीं है मुझे,
दे रहा बिन बोले सब कुछ मुझे।।
तर्ज – तुमसे जुदा होकर।
झुकने नहीं देता है,
मेरे सिर को कभी बाबा,
संकट की घड़ियों में,
खड़ा रहता है बाबा,
करके दया मुझपे,
मुझे पालता है श्याम,
मेरी हर मुसीबत को भी,
टालता है श्याम,
माँगना पड़ता नहीं है मुझे,
दे रहा बिन बोले सब कुछ मुझे।।
औकात से ज़्यादा,
देता रहा मुझको,
पूछे सदा मुझसे,
क्या दर्द है तुझको,
गिरने जो लगता हूँ,
मुझे थामता है श्याम,
मेरी हर मुसीबत को भी,
टालता है श्याम,
माँगना पड़ता नहीं है मुझे,
दे रहा बिन बोले सब कुछ मुझे।।
मेरी सोई किस्मत को,
बाबा ने जगाया है,
बनके खिवैया भी,
मुझे पार लगाया है,
मझधार से मुझको,
निकालता है श्याम,
मेरी हर मुसीबत को भी,
टालता है श्याम,
माँगना पड़ता नहीं है मुझे,
दे रहा बिन बोले सब कुछ मुझे।।
जो हुए गुनाह मुझसे,
‘हरी’ उनको भुलाता है,
पग पग पे समझाता,
मुझे गले लगाता है,
पर्दा गुनाहों पे,
मेरे डालता है श्याम,
मेरी हर मुसीबत को भी,
टालता है श्याम,
माँगना पड़ता नहीं है मुझे,
दे रहा बिन बोले सब कुछ मुझे।।
लाज बचाता है गले लगाता है,
मुझे अपने हाथों से,
संभालता है श्याम,
मेरी हर मुसीबत को भी,
टालता है श्याम,
माँगना पड़ता नहीं है मुझे,
दे रहा बिन बोले सब कुछ मुझे।।
Singer / Lyrics – Hari Sharma Ji