श्री रामायण प्रारम्भ स्तुति,
जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन।
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।1।।
मूक होइ बाचाल पंगु चढइ गिरिबर गहन।
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन।।2।।
नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन।
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन।।3।।
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन।।4।।
बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।5।।
गायक – श्री प्रेम शंकर पांडेय।
प्रेषक – घनश्याम बागवान।
सिद्दीकगंज, 7879338198
यह भी देखें – श्री रामायण विसर्जन वंदना।
जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏