भजन बिना जावेगा रे रोता,
दोहा – आया था किस काम से,
थू सोया चादर ताण,
एक दिन ऐसा सोयेगा,
लम्बे पैर पसार।
आया है सो जाएगा,
राजा रंक फकीर,
एक सिंघासन चढ़ चल्या,
एक बाँध जंजीर।
भजन बिना जावेगा रे रोता,
सत्संग बिना खावेगा गोता।।
वेद किताब बहुतर पढिया,
पढिया रे भगवत गीता,
बिना सतगुरु तेरी गति नहीं होगी,
सारा ही धोखा,
भजन बिना जाएगा रे रोता।।
भाई बंधु थारा कुटम्ब कबीला,
ममता ने जोता,
जो था पल तेरा दिन जावेगा,
आखिर क्या होता,
भजन बिना जाएगा रे रोता।।
काम क्रोध मद लोभ में फसकर,
खावेगा रे गोता,
दो दिनों के बाद काल का,
आवेगा न्यौता,
भजन बिना जाएगा रे रोता।।
हरि सा हीरा छोड़ ने प्राणी,
क्यों पत्थर को लेता,
नवल नाथ शुभ अवसर आयो,
उड़ जावेगा तोता,
भजन बिना जाएगा रे रोता।।
भजन बिना जाएगा रे रोता,
सत्संग बिना खावेगा गोता।।
स्वर – अंबाराम मुनिया।
रामेश्वर लाल पँवार, आकाशवाणी सिंगर।
9785126052