नानी बाई की सासु ननंद,
बात न कर,
देखा भला मायरो वो को,
कुण रे भर।।
नई रे नानी बाई का,
काका न बाबा,
काका न बाबा भैय्या,
काका न बाबा,
बाप वो को साधु न,
की संगत कर,
देखा भला मायरो वो को,
कुण रे भर।।
नई रे नानी बाई की,
माय न मावसी,
माय न मावसी बईण,
माय न मावसी,
भाई बिना मायरो,
वो को कुण रे भर,
देखा भला मायरो वो को,
कुण रे भर।।
द्वारकापुरी सी भाई,
वो को आयो,
छप्पन करोड़ को,
मायरो पुरायो,
नगर अंजार का लोग,
मुंडा हाथ रे धर,
देखा भला मायरो वो को,
कुण रे भर।।
नानी बाई की सासु ननंद,
बात न कर,
देखा भला मायरो वो को,
कुण रे भर।।
प्रेषक – ललित धनगर ठीकरी।
8959288036
https://youtu.be/tEJVBIymQHk