चुरू धाम जो मैं आ गया,
बाबोसा मैं तेरा हो गया,
तेरी भक्ति का छाया है सुरुर,
जो ना सोचा था वो हो गया,
मैं तेरे दर आया हूँ बाबोसा,
ये झूठी दुनिया छोड़के,
मैं तेरे चरणों में पड़ा हूँ,
ये सारे बंधन तोड़के।।
तर्ज – तेनु इतना मैं प्यार करा।
तू जो न मेरे पास था,
सुनी थी मेरी जिंदगी,
कर दे अब ऐसी कृपा,
महसूस न हो ये कमी,
हरपल साथ ही रहना है,
रिश्ता तुमसे जोड़के,
मैं तेरे चरणों में पड़ा हूँ,
ये सारे बंधन तोड़के।।
‘दिलबर’ की है ये कामना,
ये दर तेरा न छूटे,
रूठे अगर ये जहा,
पर तु कभी ना रूठे,
के दिल में हमने बसाया है,
प्रीत की चादर ओढ़के,
मैं तेरे चरणों में पड़ा हूँ,
ये सारे बंधन तोड़के।।
चुरू धाम जो मैं आ गया,
बाबोसा मैं तेरा हो गया,
तेरी भक्ति का छाया है सुरुर,
जो ना सोचा था वो हो गया,
मैं तेरे दर आया हूँ बाबोसा,
ये झूठी दुनिया छोड़के,
मैं तेरे चरणों में पड़ा हूँ,
ये सारे बंधन तोड़के।।
प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र.।
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