होत आवेरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो।।
हम कारज निर्माण किया,
आरे परमेश्वर को जाणु,
मुल रच्यो निजधाम को,
जाकर होय रे ठिकाणु,
होत आवेंरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो।।
ओ सल्ला बिहार के,
काई लावो रे बयाना,
कस के कमर को जायगो,
जामे साधु समाना,
होत आवेंरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो।।
बहु सागर जल रोखीयाँ,
देव जबर निसाणी,
चेहरा हो देखो निहार के,
काहे दल को हो धाम,
होत आवेंरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो।।
नाम शब्द को राखजो,
आरे बैकुंट को जाणु,
सब संतन का सार है,
चाहे होय परवाणो,
होत आवेंरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो।।
तीरुवर परवाणो कीजीये,
नही देणा रे भेद,
गुरु मनरंग पहिचाणिया,
मानो वचन हमारो,
होत आवेंरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो।।
होत आवेरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो।।
प्रेषक – घनश्याम बागवान।
बजरंज मंडल सिद्दीकगंज।
7879338198
यह भजन का लिरिक ग़लत है
hame sahi bhej dijiye