ढोल बाजे डंका लागे,
आरती करूँ जी,
झालर बाजे डंका लागे,
आरती करूँ जी,
गुरु चरणा री रज,
शीश पे धरूँ जी।।
अमर ज्योति झीगर-मीगर,
धूप ही करूँ जी,
ज्योति रे उजाले हीरा,
मुकुट धरूँ जी।
ढोंल बाजे डंका लागे,
आरती करूँ जी।।
सत शब्द को सेलो लियो,
जम सू डरूँ जी,
बेगम डगरी हंसा चढ़िया,
पाछो न पड़ूँ जी।
ढोंल बाजे डंका लागे,
आरती करूँ जी।।
अखेह नाम की डोरी लागी,
भजन भरूँ जी,
खण्ड ब्रह्मण्ड पे जोगी,
रमणी करूँ जी।
ढोंल बाजे डंका लागे,
आरती करूँ जी।।
नानकनाथ गुरु मिल्या,
ध्यान ही धरूँ जी,
बोले लादुनाथ जोगी,
जनमु ना मरूँ जी।
ढोंल बाजे डंका लागे,
आरती करूँ जी।।
ढोल बाजे डंका लागे,
आरती करूँ जी,
झालर बाजे डंका लागे,
आरती करूँ जी,
गुरु चरणा री रज,
शीश पे धरूँ जी।।
स्वर – गणेशनाथ जी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052