मेरी माँ खोल दे तू,
मेरे भी नसीब को,
तार दे तू मैया,
इस गरीब को,
माँ खोल दे तू,
मेरे भी नसीब को।।
तेरे दर आके दुख,
दिल के मैं रोता हूँ,
अश्कों से तेरे मैया,
चरणों को धोता हूँ,
तेरे होते दाती क्यों,
दुखियाँ मैं होता हूँ,
चैन से ना जिऊँ मैया,
चैन से ना सोता हूँ,
गले से लगा लो,
बदनसीब को,
माँ खोल दे तू,
मेरे भी नसीब को।।
ज्योत मैं जगाऊँ तेरी,
सांझ सवेरे,
दूर करो मैया मेरे,
गम के अंधेरे,
कष्ट निवारो मैया,
अब तुम मेरे,
आके गिरा हूँ मैया,
शरण में तेरे,
भूलों ना माँ अपने,
अजीज को,
माँ खोल दे तू,
मेरे भी नसीब को।।
अपने ‘सलीम’ को,
दे दो दिलासा माँ,
ममता से भर दो मैया,
मेरा भी कासा माँ,
दूर ना जाए मेरे,
मुखड़े से हासा माँ,
जाए ना दर से तेरा,
‘कोमल’ निरासा माँ,
तोड़ो ना माँ मेरी,
इस उम्मीद को,
माँ खोल दे तू,
मेरे भी नसीब को।।
मेरी माँ खोल दे तू,
मेरे भी नसीब को,
तार दे तू मैया,
इस गरीब को,
माँ खोल दे तू,
मेरे भी नसीब को।।
स्वर – मास्टर सलीम।
प्रेषक – आशुतोष त्रिवेदी।