मिगसर की पाँचम है आई,
सजेगा फिर दरबार,
बाबोसा के होंगे दर्शन,
ऑन लाइन इस बार,
हो भक्तो भूल न जाना,
चुरू धाम घर को बनाना,
मिगसर की पाँचम हैं आई।।
तर्ज – स्वर्ग से सुंदर सपनो से।
आई है अंगना हमारे,
रुत ये सुहानी,
मिगसर पांचम की ये,
अमिट कहानी,
राजतिलक हुआ बाबोसा का,
शुभ दिन बना त्यौहार,
बाबोसा के होंगे दर्शन,
ऑन लाइन इस बार,
हो भक्तो भूल न जाना,
चुरू धाम घर को बनाना,
उत्सव है ये सुहाना,
ऑन लाइन दर्शन करना,
मिगसर की पाँचम हैं आई।।
तमन्ना जो मन मे भक्तो,
रहे ना अधूरी,
आन लाइन करना इस,
साल आस पूरी,
झूम नाचकर खुशियाँ मनाना,
संग हो सारा परिवार,
बाबोसा के होंगे दर्शन,
ऑन लाइन इस बार,
हो भक्तो भूल न जाना,
चुरू धाम घर को बनाना,
उत्सव है ये सुहाना,
ऑन लाइन दर्शन करना,
मिगसर की पाँचम हैं आई।।
कोरोना के चलते किया,
सारा इंतजाम है,
दुख में भी ना भूले हम,
बाबोसा का नाम है,
मंजू बाईसा कहती है ‘दिलबर’,
आयेगे हम चुरू धाम,
बाबोसा के होंगे दर्शन,
ऑन लाइन इस बार,
हो भक्तो भूल न जाना,
चुरू धाम घर को बनाना,
उत्सव है ये सुहाना,
ऑन लाइन दर्शन करना,
मिगसर की पाँचम हैं आई।।
मिगसर की पाँचम है आई,
सजेगा फिर दरबार,
बाबोसा के होंगे दर्शन,
ऑन लाइन इस बार,
हो भक्तो भूल न जाना,
चुरू धाम घर को बनाना,
मिगसर की पाँचम हैं आई।।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
9907023365