आशा थोरी अमर सदा ही धणी रामा,
दोहा – धिन धणीया रो देवरो,
हर सागर री तीर,
फरहर नेजा फरहरे,
थाने रंग हो रामा पीर।
घोड़ों हेंवर हँसलो,
आप होया असवार,
हेले हाजर रहवजो बाबा,
निवण करे नर नार।
आशा थोरी अमर,
सदा ही धणी रामा,
हर जी यू हेत करीजे ओ राज।।
सत शब्दों रा धणी सिंवरण व्हेता,
हर रा जाप जपीजे राज,
झालर री झणकार पड़ेला,
जमड़ा दूर करीजे राज।।
खारक धूप ने खोपरा मुगता,
अगर चन्नण भेलीजे राज,
धूपों री मेहकार पड़ेला,
बास बैकुंठा लीजे राज।।
अबला नगरी में निकळंक राजा,
घोड़ो झीण मंडीजे राज,
सुर तेंतीसों होया रे साम्पति,
कळू में देन्त दळीजे राज।।
सतजुग में सदा ही संग रमता,
त्रेताजुग करीजे राज,
दवाजुग पाण्डु जग्य तो रचायो,
कण कळजुग में ओ लीजे राज।।
अड़ा उड़द बिच आरम रचियो,
कुळ री लाज रखीजे राज,
देऊ शरणे हरजी बोले,
भाने री लाज रखीजे राज।।
देऊ म्हारा भाई गुरु हरजी बोले,
सायबो साँच पतीजे राज,
आशा थोरी अमर सदा ही धणी रामा,
हर जी यू हेत करीजे ओ राज।।
आशां थोरी अमर,
सदा ही धणी रामा,
हर जी यू हेत करीजे ओ राज।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052