सुना दी मैंने सांवरिये को,
अपने दिल की बात,
आना है हर हाल में तुमको,
ग्यारस की है रात,
कहां छुप छुप कर बैठे हो,
कि मुझसे क्यू रूठे हो।।
तर्ज – लाल दुपट्टा उड़ गया।
चौखट पे ये भक्त तेरा,
सारी रात बिताएगा,
देखना है मुझको भी अब,
तू क्या क्या बहाना बनाएगा,
ठान लिया है मैंने भी अब,
करनी है मुलाकात,
आना है हर हाल में तुमको,
ग्यारस की है रात,
कहां छुप छुप कर बैठे हो,
कि मुझसे क्यू रूठे हो।।
क्या इस काबिल नही हूँ मैं,
जो तेरे दर्शन पाऊं,
सांवली सूरत पे मोहन,
कब तक मैं वारी जाऊ,
सुन लो अब तो सांवरिया,
मेरी छोटी सी एक बात,
आना है हर हाल में तुमको,
ग्यारस की है रात,
कहां छुप छुप कर बैठे हो,
कि मुझसे क्यू रूठे हो।।
आज का दिन बड़ा पावन,
बिन मौसम लगता सावन,
फूलों के गजरे मे देखो,
महका मेरा मनभावन,
‘राखी’ देखो नाच रही है,
मिलकर सबके साथ,
आना है हर हाल में तुमको,
ग्यारस की है रात,
कहां छुप छुप कर बैठे हो,
कि मुझसे क्यू रूठे हो।।
सुना दी मैंने सांवरिये को,
अपने दिल की बात,
आना है हर हाल में तुमको,
ग्यारस की है रात,
कहां छुप छुप कर बैठे हो,
कि मुझसे क्यू रूठे हो।।
Singer – Mangat Gujjar
Lyricist / Upload – Rakhi Aggarwal