पीरजी आप थका कीने धावा,
दोहा – लीलो घोड़ो नवलखो,
और मोतियों जड़ी रे लगाम,
पिछम धरां रा बादशाह,
गढ़ रुणेचे रा श्याम।
धिन ढाणी धिन देवरो,
धिन हैं रुणेचो गाँव,
भला पिछम में प्रगटिया,
ज्यारो नव खण्डों में नाव।
हरजी री सुण विनती ओ,
आयजो रामापीर,
परचो मांगे राजा जी,
म्हाने किण विध आवे धीर।
पीरजी आप थका कीने धावा,
किणरी पोलिया आगे,
करूँ मैं विनती,
किण ने दुखड़ो सुणावा,
आप थकां कीने धावां रे।।
पर बिना पाँख,
पंखेरू किया उडे बाबा,
किया रे वच न पावां,
जळ बिना मछली,
किण विध जिये बाबा,
जल रे कठे सू लावा,
आप थकां कीने धावां रे।।
राजा विजय सिंह परचो मांगे,
परचो मैं कीकर दिखावा,
आणो व्हे तो आजा रामदे,
जहर खाय मर जावां,
आप थकां कीने धावां रे।।
नव मण घास घोड़े आगे रालियो,
घोड़े ने किया चरावां,
राजा विजयसिंग यों फरमावे,
घाणी में घाल पिलावां,
आप थकां कीने धावां रे।।
घोड़े हींच करी गढ़ पोलिया,
जोधाणो दियो रे धुजावा,
हाकम हजारी बाबा पाये पड़ियो,
जन्म जन्म गुण गावां,
आप थकां कीने धावां रे।।
राजा विजयसिंग यूँ फरमावे,
बाबा जोधपुर देवरो छुणावा,
पण्डित जी री ढाणी हरजी थाने देदो,
ताँबा पत्र दिरावा,
बापजी आप थकां कीने धावां रे।।
बापजी आप थका कीने धावा,
किणरी पोलिया आगे,
करूँ मैं विनती,
किण ने दुखड़ो सुणावा,
आप थकां कीने धावां रे।।
गायक- दारम सा पंवार।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार,
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
बहुत सुन्दर रचना है
बहुत अच्छा लगा