एक भरोसा श्याम तुम्हारा,
और कहाँ हम जाएंगे,
तुम मालिक बनकर के रहना,
हम नौकर कहलाएँगे,
एक भरोंसा श्याम तुम्हारा,
और कहाँ हम जाएंगे।।
तर्ज – रो रो कर फरियाद करा हाँ।
तुम जानो कैसे चलना है,
इस जीवन की नैया को,
राही फ़िर क्यूं फिकर करे जब,
चिंता आप खिवैया को,
पार लगाओगे तुम ही जब,
लहरो में घीर जाएंगे,
एक भरोंसा श्याम तुम्हारा,
और कहाँ हम जाएंगे।।
ये जो हुआ है मैने किया है,
इसका भरम मिटाना तुम,
जब जब भी मै एहम मे डूबूं,
मेरे पाप गिनाना तुम,
हम तो है माटी के पुतले,
फ़िर गलती कर जाएंगे,
एक भरोंसा श्याम तुम्हारा,
और कहाँ हम जाएंगे।।
सेवा इन चरणों की पाकर,
स्वांस स्वांस कट जाए प्रभू,
नज़र तुम्हारी पड़े तो बादल,
दुखों के छट जाए प्रभू,
‘पंकज’ कहता तुम्हे छौड़ अब,
किसको मीत बनाएँगे,
एक भरोंसा श्याम तुम्हारा,
और कहाँ हम जाएंगे।।
एक भरोसा श्याम तुम्हारा,
और कहाँ हम जाएंगे,
तुम मालिक बनकर के रहना,
हम नौकर कहलाएँगे,
एक भरोंसा श्याम तुम्हारा,
और कहाँ हम जाएंगे।।
– लेखक गायक व प्रेषक –
ज्ञान पंकज 9810257542