कभी फुरसत हो तो सांवरिया,
निर्धन के घर भी आ जाना,
जो अपना समझ के दिया हमें,
कभी उसका भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो सांवरिया,
निर्धन के घर भी आ जाना।।
तर्ज – कभी फुरसत हो धनवानों से।
तू सबकी सुनता सांवरिया,
कब मेरी सुनने आएगा,
ना अपना कोई इस जग में मेरा,
कब आके गले लगाएगा,
किस्मत ने सहारा छोड़ दिया,
तू आके लाज बचा जाना,
जो अपना समझ के दिया हमें,
कभी उसका भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो सांवरिया,
निर्धन के घर भी आ जाना।।
मैं निर्धन हूँ मेरे पास प्रभु,
लड्डू मेवा ना मिठाई है,
सोने के सिंगासन हैं तेरे,
मेरे घर धरती की चटाई है,
तू आके देजा सहारा मुझे,
इस दुनिया को दिखला जाना,
जो अपना समझ के दिया हमें,
कभी उसका भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो सांवरिया,
निर्धन के घर भी आ जाना।।
‘उमेश’ को दुःख ने घेर लिया,
अपनों ने मुंह भी फेर लिया,
इस भगत ने रखी आस यही,
इस आस पे दौड़े आ जाना,
जो अपना समझ के दिया हमें,
कभी उसका भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो सांवरिया,
निर्धन के घर भी आ जाना।।
कभी फुरसत हो तो सांवरिया,
निर्धन के घर भी आ जाना,
जो अपना समझ के दिया हमें,
कभी उसका भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो सांवरिया,
निर्धन के घर भी आ जाना।।
Singer – Umesh Saini
https://youtu.be/-RJ0m8mFSZc
Aapke Bhajan bahut acche hain main bahut pasand aaye