आ दुनिया तो थारी,
बावळी रे बेंडा,
माया की मोटी,
छावनी रे बेंडा,
बातां में रहयो बिलमाय,
पंछीड़ा पावणा रे कांई,
बागा में मोयो रे,
कांई माया में मोयो रे।।
सोने रे घड़े में विष घोलण,
आतो मीठी छूरी बण बोलणी रे,
आतो धोखा भरी संसार,
पंछीड़ा पावणा रे कांई,
बातां में खोयो रे,
कांई बागां में मोयो रे।।
पाछो ठिकाणे थने,
आवणो रे गेल्या,
कठू आयो ने कठे,
जावणो रे गेल्या,
गैलां में रहग्यो रात,
पंछीड़ा पावणा रे.
कांई नींदा में सोयो रे,
कांई बागां में मोयो रे।।
नारी ठग्यो थारा,
रूप ने रे गेल्या,
काम कमाई ठगगी,
पूत ने रे गेल्या,
काया ठग्यो परिवार,
पंछीड़ा पावणा रे अठे,
आज ठगायो रे,
कांई बागां में मोयो रे।।
बालपणो रे हँस,
खोवियो रे बीरा,
जोर जवानी में,
सोवियो रे बीरा,
वेद न आया नहीं याद,
पंछीड़ा पावणा रे,
अब बुढ़ापे रोयो रे,
कांई बागां में मोयो रे।।
भेरू शंकर समझाय,
रिया रे भेंडा,
आच्छा दिन थारा,
जाय रिया रे भेंडा,
हरि भज उतरौला पार,
पंछीड़ा पावणा रे,
अब मोड़ो नही होयो रे,
कांई बागां में मोयो रे।।
आ दुनिया तो थारी,
बावळी रे बेंडा,
माया की मोटी,
छावनी रे बेंडा,
बातां में रहयो बिलमाय,
पंछीड़ा पावणा रे कांई,
बागा में मोयो रे,
कांई माया में मोयो रे।।
गायक – जगदीश जी वैष्णव।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052