मैं श्याम नाम जपूँ जग जानता,
श्याम बिना दिल नहीं लगता,
कभी चाँद तो कभी सूरज सा,
सांवरे का मुखड़ा चमकता।।
तर्ज – तितलियाँ।
पता नहीं जी कैसा वो,
श्रृंगार करता है,
देखने को मुखड़ा,
बार बार करता है,
छुप छुप के देखूं तुझको,
वो दिन चले गए,
श्याम मेरी नज़रों के,
दिल के पास रहता है,
श्याम सपनो में भी,
तेरे रहूं मैं खोई,
जानती हूँ मैं तेरे जैसा,
और ना कोई,
खड़ी हूँ आज तेरे दरबार पे,
जाने को दिल नहीं करता।।
हारे का सहारा,
लखदातार कहलाता है,
डूबी हुई नैया,
सबकी पार लगाता है,
रखदे जिसके सर पर,
अपनी मोरछड़ी,
पल में किस्मत उसकी,
श्याम संवार देता है,
क्या से क्या पल में,
करदे ये जाने ना कोई,
तेरा दिया सब खाते हैं,
जाने हर कोई,
तेरी लीला हर कोई ना जानता,
साथ तू तो डर नहीं लगता।।
मैं श्याम नाम जपूँ जग जानता,
श्याम बिना दिल नहीं लगता,
कभी चाँद तो कभी सूरज सा,
सांवरे का मुखड़ा चमकता।।
Singer – Neha Sai